forage all around the year - chare ki kheti pure saal


                                                              पूर्ण वर्ष हरा चारा कैसे प्राप्त करें


दूध देने वाले पशुओं में अत्यधिक तथा कम खर्च पर अधिक दूध उत्पादन के लिए जरूरी है कि पशुओं को पौष्टिक संतुलित मात्रा में हरा चारा पूर्ण वर्ष मिलता रहे ! वर्ष के कुछ महीनों में जैसे अक्तूबर-नवम्बर मई-जून में हरे चारे की कमी जाने के कारण हम पशुओं को हरा चारा पूर्ण मात्रा में नहीं दे पाते हैं जिसके फलस्वरूप पशुओं का स्वास्थ्य खराब हो जाता है एवं दूध उत्पादन में कमी आती है ! पूर्ण वर्ष हरा चारा खिलाना काम लेने वाले पशुओं को भी जरूरी है ! इन बातों का ध्यान रखते हुए पौध प्रजनन विभाग के चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर कुछ विशेष फसलचक्र बनाये हैं जिनको लगाने से पौष्टिक अधिक मात्रा में हरा चारा पूर्ण वर्ष मिलता रहता है ! हरियाणा प्रान्त में सिंचाई की सुविधा के आधार पर चारे के निम्नलिखित दो प्रकार के फसलचक्रों की सिफारिश की जाती है:-

() निश्चित सिंचित क्षेत्रों के लिए

जिन क्षेत्रों में पानी की कमी नहीं है में मुख्य फसलें जैसे संकर हाथी घास, सूडान घास, ज्वार, लोबिया, बरसीम, लूसर्न मक्का आदि को शामिल करके निम्न फसलचक्र अपनाने चाहिए।


1.    स्ंकर हाथी घास 21-बरसीम -चाइनीज सरसों - लोबिया


स्ंकर हाथी घास एक बहुवर्षीय फसल है ! इसको बरसीम की फसल के अन्दर मध्य फरवरी में जड़ों द्वारा उगाया जाता है ! हाथी घास के लिए लाइनों का फासला डेढ़-दो मीटर तथा पौधों का फासला 60 से 70 सैं.मी. रखना चाहिए ! अप्रैल के अन्त में जब बरसीम से चारा मिलना बन्द हो जाता है तो उस समय हाथी घास चारा देना आरम्भ कर देती है। गर्मियों के महीनों (मई-जून) में इसकी पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इसकी लाइनों के बीच में लोबिया की बिजाई कर दी जाती है। अक्तूबर के महीने में हाथी घास की आखिरी कटाई लेकर इसकी लाइनों के बीच में बरसीम - चाइनीज सरसों की बिजाई कर लेनी चाहिए ! सर्दियों के मौसम में जब संकर हाथी घास चारा नहीं देती तब हमें बरसीम की फसल चारा देना शुरू कर देती है। फरवरी-मार्च में संकर हाथी घास का फुटाव शुरू हो जाता है ! इस फसलचक्र से पूरे साल में 1500-2000 क्विंटल प्रति हैक्टर हरा चारा प्राप्त होता है ! 

2.   
स्ंकर हाथी घास - लूसर्न


स्ंकर हाथी घास की तरह लूसर्न भी एक बहुवर्षीय फसल है ! लूसर्न को अक्तूबर-नवम्बर के महीने में 30 सैं.मी. (एक फूट) की दूरी पर लाइनों में बोते हैं ! बिजाई के बाद पहली कटाई 90 दिन के बाद होती है। उसके बाद लूसर्न (रिजका) 3-4 साल तक लगातार चारा देता रहता है ! फरवरी के महीने में संकर हाथी घास की जड़ों को डेढ़ से दो मीटर के अन्तर पर लाइनों में लूसर्न के बीच में ही लगाया जाता है ! संकर हाथी घास से लगाने के तीन महीने बाद चारा मिलना शुरू हो जाता है। इस तरह ये फसलें तीन से चार साल तक हरे चारे का पूर्ण उत्पादन देती रहती है ! इस फसल चक्र से औसतन हरे चारे की पैदावार 1500-1700 क्विंटल प्रति हैक्टर होती है ! 

3.   
मीठी सूडान/ज्वार-बरसीम+चाइनीज सरसों

इस फसल चक्र में दोनों फसलें एक वर्षीय है। सूडान घास या ज्वाद (अधिक कटाई वाली) बीजने का उपयुक्त समय मध्य अप्रैल है। इसकी बिजाई 25 सैं.मी. की दूरी पर लाइनों में पोरा या केस द्वारा की जाती है। एक हैक्टर में बिजाई के लिए लगभग 25 किलो बीज सूडान का
40 किलो बीज ज्वार का काफी है ! सूडान से हमें गर्मियों में 3 कटाइयां ज्वार से दो कटांइया मिल जाती है ! पहली कटाई बिजाई के दो महीने बाद मिलती है और इसके बाद बाकी जमीन को जोतकर बरसीम+चाइनीज सरसों की बिजाई कर दी जाती है। इस प्रकार सर्दियों में बरसीम+चाइनीज सरसों से हरा चारा प्राप्त होता रहता है। इस फसलचक्र में हमें लगभग 1400-1500 क्विंटल प्रति हैक्टर हरा चारा प्राप्त होता है !
      

उपर्युक्त तीनों फसलचक्रों के सुविधापूर्वक रूप से अपनाने के लिए यह अच्छा रहेगा कि यदि एक एकड़ जमीन को बराबर तीन हिस्सों में बांट लिया जाए और इसको  निश्चित सिंचाई वाले क्षेत्रों में लगाया  जाये ! इन फसलचक्रों के अपनाने से एक एकड़ भूमि पर कम से कम 2-3 दूध देने वाले पशु आसानी से पाले जा सकते हैं !

() सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए

जिन भागों में पानी की कमी है वहां पर मुख्य फसलें जैसे जई, चाईनीज, सरसों, जापानी, सरसों, लोेबिया, बाजरा ज्वार आदि को लेकर पूर्ण वर्ष हरा चारा प्राप्त करने के लिए निम्न फसलचक्र अपनाना चाहिए:-


1.    बाजरा + लोबिया - ज्वार + लोबिया - जई


यह एक वर्षीय फसलचक्र है। गर्मियों के महीनों (मार्च-अप्रैल) में बाजरा 30 सैं.मी. की दूरी पर बिजाई कर दें ! इसमें 21 अनुपात में लोबिया भी मिलाना चाहिए। इससे चारे की पौष्टिकता बढ़ जाती है। बाजरा लोबिया के बीजों को उपयुक्त अनुपात में मिलाकर लाइनों में बो दिया जाता है ! यह उचित रहेगा यदि बिजाई इस प्रकार करें कि बाजरा की दो लाइन लगाकर फिर एक लाइन लोबिया की लगायें ! इससे पैदावार अधिक होती है ! इसी प्रकार बरसात में ज्वार तथा लोबिया भी 2.1 अनुपात में बोना चाहिए ! अक्तूबर नवम्बर के महीने में जई की बिजाई कर दी जाती है ! इस फसलचक्रसे पूरे साल में 1000-1100 क्विंटल प्रति हैक्टर हरा चारा प्राप्त हो जाता है ! इन फसलचक्रों से प्राप्त चारा उपर्युक्त फसलचक्रों की अपेक्षा कम पौष्टिक होता है।


उपर्युक्त फसलचक्रों से प्राप्त हरे सूखें चारे की पैदावार पौष्टिक तत्व शुद्ध आय निम्नांकित सारणी में दिए गए हैं ! इन सभी फसलचक्रों से प्राप्त चारे को गायों भैंसों को खिलाकर उनकी पौष्टिकता मालूम की गई है ! इस तालिका से ये साफ जाहिर है कि इन सभी फसलचक्रों में से संकर हाथी घास-बरसीम-लोबिया सबसे उतम है क्योंकि इससे अधिक से अधिक हरा चारा, पौष्टिक तत्व आमदनी मिलती है ! दूसरे नम्बर पर पैदावार आमदनी के हिसाब से संकर हाथी घास + लूसर्न का फसलचक्र आता है, परन्तु पोषक तत्वों के आधार पर मीठी सूडान घास/ज्वार+चाइनीज सरसों ठीक है बाजरा + लोबिया - ज्वार +लोबिया - जई वाले फसलचक्र से और सभी फसलचक्रों से चारा तथा आय ही कम नहीं मिलती बल्कि इससे पोषक तत्वों की पैदावार भी कम होती है ! परन्तु यह फसलचक्र कम सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए सर्वोतम है !


विभिन्न फसलचक्रों में चारे की पैदावार, शुद्ध आय पोषक तत्व


फसलचक्र
पैदावार (क्विंटल/है)
शुद्ध आय रूपयों में
पौष्टिक तत्व(क्विंटल/है) शुष्क पाचक पदार्थ
कुल पोषक तत्व
शकर हाथी घास-बरसीम + चाईनीज सरसों-लोबिया
178
376
5480
268
 
स्ंकर हाथी घास + लूसर्न
1582
312
4818
158
 
मीठी सूडान/ज्वार + बरसीम + चाइनीज सरसों    
1475
308
4235
184
 
बजरा+लोबिया-ज्वार+लोबिया-जई
1111
263
153
146
इन फसलचक्रों के अपनाने से अत्यधिक मात्रा में सारा साल पोष्टिक हरा चारा खिलाकर आप पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार ही नहीं करेंगे बल्कि उनके अधिक-से अधिक दूध प्राप्त करके देश में श्वेत क्रांति में एक बहुत बड़ा सहयोग देंगे।