bakri palan ki jankari

बकरी पालन

बकरी पालन ऐसा व्यवसाय है जिसे कोई भी थोड़ी सी लागत/पूंजी और जानकारी के साथ शुरू कर सकता है ! साथ ही साथ बकरी पालन में जोखिम दूसरे व्यवसाय से काफी कम है ! 

गोट मीट की मांग भारत में हर जगह है तथा और मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है ! क्योंकि बकरे का मीट किसी भी धार्मिक विचारधारा या प्रतिबंध से मुक्त है ! अर्थात बकरे का मीट को सभी धर्मों, जातियों तथा सम्प्रदायों द्वारा खाने में व्यापकता से उपयोग किया जाता है ! किसी तरह की धार्मिक पाबन्दी न होने के कारण बकरे का मीट अन्य मीटों की तुलना में अधिक लोकप्रिय है !

बकरी पालन आरम्भ कैसे करें

जमीन का चुनाव :

जमीन का चुनाव करते समय निम्न बातों का ध्यान रखा जाना बेहद आवश्यक है :

> ऐसी जगह जमीन की तलाश करनी चाहिए जहां शुद्ध पानी और हवा की प्रचुरता हो।
> आस-पास के क्षेत्र में खेत हों ताकि आप आसानी से घास और अनाज पैदा कर सकें ताकि बकरियों को खिलाने का खर्च कम किया जा सके।
> आस-पास के क्षेत्र में ऐसा मार्केट हो जहां बकरी पालन से संबंधित वस्तुएं और दवाइयां आसानी से उपलब्ध हों।
> गांव के आस-पास ही बकरी पालन शुरू करने का सोचें क्योंकि शहरों के मुकाबले गांवों में जमीन और मज़दूर बहुत सस्ते दामों में उलपब्ध रहते हैं ! बकरी पालन का क्षेत्र ऐसा हो जहां आस-पास कोई पशु चिकित्सालय हो ताकि आपको टीके व अन्य दवाइयां आसानी से उपलब्ध हो सकें नहीं तो आपको सारी दवाइयां और टीके अपने फार्म पर ही रखने पड़ेंगे।
> यातायात की सुविधा का होना जरूरी है ताकि जरूरत पड़ने पर आप अपनी जरूरत की वस्तुएं किसी नजदीकी बाज़ार से खरीद सकें ! तथा अपने फार्म के उत्पादों को आसानी से बाजार में पहुंचा
और बेच सकें !

शेड निर्माण :

बकरी पालन करने के लिए बकरियों के लिए घर या शेड का निर्माण बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य है और निम्न बातों का स्पष्ट ध्यान रखा जाए कि :

> कोशिश करें कि बकरियों के रहने का स्थान जमीन से दो-तीन फीट ऊँचा हो ! इसके लिए आप तख्त इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि गीलेपन और नमी से बकरियों में बीमारी पैदा हो जाती है !
> चूहे, मक्खियां, जू इत्यादि कीट पतंगे बकरियों के आवास पर बिलकुल नहीं होने चाहिए।
> आवास को हमेशा पूर्व पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए, ताकि हवा का आवागमन आसानी से हो सके।
> आवास से पानी निकास की उचित व्यवस्था पहले से ही करके रखें, ताकि फार्म की साफ-सफाई के दौरान पानी का निकास बाहर की ओर आसानी से हो सके।
> इस बात की उचित व्यवस्था करें कि बकरियों के आवास में किसी भी प्रकार का पानी चाहे वो बारिश का हो या कोई अन्य अन्दर न आने पाए। यह पानी बीमारियों की जड़ है।
आवास में तापमान को स्थिर रखने के लिए उचित प्रबन्ध करें। गर्मी तथा सर्दियों के लिए आवास में तापमान नियंत्रण के लिए उचित प्रबन्ध करें।
> बकरी पालन से सम्बन्धित सभी तरह के उपकरणों, बर्तनों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

बकरी पालन के फायदे

1. बकरी आकार में छोटी और स्वाभाव से शांत प्रवृत्ति की होती है ! इसलिए इन्हें पालने में ज्यादा कठनाई नहीं होती है ! इनको रखने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है ! इसलिए जिन किसानों के पास कम भूमि है वो भी बकरी पालन का व्यवसाय कर सकते हैं !
2. ये हर प्रकार की जलवायु में रह सकती हैं। बकरी को शुष्क जलवायु पसंद होती है लेकिन यह भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में भी रह सकती हैं।
3. इनको पालने का खर्चा काफी कम है। अर्थात काफी कम लागत में बकरी पालन उद्योग शुरू किया जा सकता है।
4. किसी भी अन्य डेयरी पशु की तुलना में बकरियां दाना-पानी कम खाती हैं ! ये हर प्रकार के पेड़-पौधे व झाड़ियों को खा सकती हैं !
5. बकरी पालन का एक लाभ ये भी है कि एक बार में कम से कम 1-2 बच्चों को वो जन्म देती हैं ! कभी-कभी 3-4 बच्चों को भी वो जन्म दे देती हैं जिसकी वजह से उसकी संख्या तेजी से बढ़ती है।
6. बाजार में बकरी का माँस की मांग लगातार बढ़ रही है !
7. इस व्यवसाय को करने में जोखिम काफी कम है !
8. बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है अर्थात कोई भी बेरोजगार युवक या किसान इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है।
9. बैंकों से लोन भी आसानी से मिल जाता है।
10. बकरी से किसी भी समय दिन में कितनी बार भी दूध निकाला जा सकता है।
11. दो-तीन बच्चे होने के बावजूद भी इसका दुग्ध उत्पादन पर्याप्तहोता है।
12. बकरी पालन गरीब और भूमिहीन किसान भी कर सकते हैं जिनके पास उन्हें खिलाने के लिए चारा तक नहीं होता।

चारे की व्यवस्था

> इन सबके अलावा व्यवसाय के लिए बकरियों के खान-पान का उचित प्रबन्ध रखना होगा।
> बकरियों के लिए हरा चारा, गेहूं का भूसा यदि संभव हो तो चना, अरहर तथा मसूर की दाल के भूसे का इंतजाम किया जा सकता है !
> दाने के रूप में बकरियों को गेहूं और टूटी हुई मक्का देनी चाहिए ! इसके अलावा कटहल, नीम, पीपल, पाकड़ की पत्तियों को समय-समय पर हरे चारे के रूप में दे सकते हैं।

बकरी की नस्लः

> सिरोही बकरी, जमुनापारी बकरी, ब्लैक बंगाल बकरी।
अतिरिक्त सलाह
> बकरियां बकरी पालन व्यवसाय की रीढ़ की हड्डी होती है इसलिए उनका अच्छी तरह से ध्यान रखें।
बकरियों के रोजमर्रा के असामान्य लक्षणों को पहचानिए, जो भी बकरी सुस्त, कमजोर या चारा नहीं खा रही है उसका अतिरिक्त ध्यान रखें तथा किसी भी तरह की बीमारी को पहचान कर उचित इलाज की व्यवस्था करें।
> बकरियों को समय-समय पर टीका अवश्य लगवाएं।
> बकरियों के बच्चों का बकरियों की तुलना में अधिक ध्यान रखें।
> बकरी पालन से सम्बन्धित समस्त रिकॉईंको मेन्टेन करके रखें।

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