गोभी की अच्छी किस्मे, खेती सम्पूर्ण जानकारी

               गोभी की अच्छी किस्मे, खेती सम्पूर्ण जानकारी

देश में फूलगोभी की काश्त व्यावसायिक स्तर पर की जाती है ! फूलगोभी की काश्त को हम तीन भागों में बांट सकते हैं ! अलग-अलग वर्ग के लिए उचित किस्म का चुनाव करना आवश्यक है ! 

उन्नत किस्में



पूसा कातकी :

यह एक अगेती किस्म है ! इसके पौधे मध्यम आकार के पत्ते नीले रग के व फूल छोटे-मध्यम आकार के होते हैं ! इसके फूल 60 दिन में तैयार हो जाते हैं ! इसकी पैदावार लगभग 50-60 क्विंटल प्रति एकड़ है !

हिसार-1 :

यह मध्यम पछेती किस्म है ! इसके फूल दर्मियाने बड़े, सुडौल और सफेद होते हैं जो 90 दिन में तैयार हो जाते हैं ! इसकी पैदावार लगभग 90 क्विंटल प्रति एकड़ है !

स्नोवाल-16 :

यह पछेती किस्म है ! इसके फूल सफेद, संगठित तथा मध्यम आकार के होते हैं ! इसके फूल 100-110 दिन में तैयार होते हैं और पैदावार लगभग 60 क्विंटल प्रति एकड़ है !

बिजाई का समय

अगेती फूलगोभी के लिए पौधशाला में बिजाई मई-जून में तथा पौधरोपण जून-जुलाई में की जाती है ! मध्यम मौसम की फूलगोभी के लिए पौधशाला में बिजाई मध्य जुलाई से अगस्त के पहले सप्ताह तक का समय उत्तम है ! 

पौधरोपण अगस्त से मध्यम सितम्बर में की जाती है ! पछेती किस्मों के लिए क्यारियों में बिजाई अक्तूबर से नवम्बर के पहले सप्ताह तक और पौध रोपाई नवम्बर से दिसम्बर में की जाती है ! बटनिंग (छोटे फूल) को रोकने के लिए सिफारिश की गई किस्मों की उचित समय पर बिजाई करें !

बीज की मात्रा

अगेती किस्मों के लिए 300-400 ग्राम प्रति एकड़ तथा मध्यम व पछेती किस्मों के लिए 250-300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से बीज पर्याप्त होगा ! 

पौध तैयार करना

गोभी की पौध तैयार करने के लिए जमीन से 15 सें.मी. ऊँची 3x1 मीटर की क्यारियाँ बनायें ! एक एकड़ में पौध रोपने के लिए इस प्रकार की लगभग 15-20 क्यारियों की आवश्यकता पड़ती है ! 

क्यारियों की अच्छी प्रकार खुदाई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें और उसमें गोबर की सडी खाद की 2 सें.मी. मोटी तह बिछाकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें ! बीज छिड़काव या पंक्तियों में बोयें और उसके बाद गोबर की सड़ी खाद की पतली तह से ढक दें ! 

अगेती किस्मों की पौध को तेज धूप से बचाने के लिए सरकण्डे के छप्पर से ढकना चाहिए जिससे पौध कम से कम मरेगी ! क्यारियों में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए और पानी को फवारे से देना चाहिए ! 

रोपाई की विधि

अगेती फूलगोभ्ज्ञी के लिए डोलियाँ (मेढ़) इच्छित दूरी पर बनाई जाती हैं और स्वस्थ पौधों की डोलियों पर रोपाई की जाती है ! मध्यम व पछेती किस्मों के लिए इच्छित समतल क्यारिया" पौधों की रोपाई की जाती है ! बिना कोपल के पौधों की रोपाई नहीं करनी चाहिए ! 

अगेती गोभी में पौधों की अधिक से अधिक संख्या प्राप्त करने के लिए पौध रोपाई से 5-6 घंटे पहले डलिया है बीच हल्की सिंचाई करें ! वर्षा से भूमि कटाव द्वारा जड़ों को नंगा होने से रोकने के लिए पौधों के साथ मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है ! 

पौधों की रोपाई करते समय निम्नलिखित दूरी रखें :

अगेती = 45x30 सें.मी. दर्मियानी = 60x60 सें.मी.
पछेती = 45x45 सें.मी. खाद एवं उर्वरक,
लगभग 20 टन गोबर की खाद, 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस व 20 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ डालें ! पूरी गोबर खाद, फास्फोरस तथा पोटाश और एक तिहाई नाइट्रोजन की मात्रा पौध लगाने से पहले देनी चाहिए ! बाकी नाइट्रोजन की मात्रा बाद में खड़ी फसल में दो बार करके छिड़क देनी चाहिए ! जिंक सल्फेट 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से इस फसल के लिए उपयोगी पाया गया है !

सिंचाई

अगेती किस्मों की 5-6 दिन के अन्तर से तथा पछेती किस्मों में 10-15 दिन के अन्तर से सिंचाई करनी चाहिए ! फूल बनते समय खेत में काफी नमी होनी चाहिए ! अतः इस समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए !

निराई गोड़ाई और खरपतवार नियन्त्रण

फूलगोभी में खरपतवार नियन्त्रण के लिए फ्लुक्लोरोलिन नामक दवा 0.5-0.6 किलोग्राम (बैसालिन 45 प्रतिशत, 1-1.3 लीटर) या पैण्डीमैथालिन 0.4 किलोग्राम (स्टोम्प 30 प्रतिशत, 1.3 लीटर) प्रति एकड़ प्रयोग करें ! अगर खरपतवारनाशक दवाइयों के इस्तेमाल करने के बाद भी कुछ खरपतवार निकलें तो एक निराई खुरपी या कसोले से करें  !

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