नर्सरी में प्याज की पौध कैसे तैयार करे
प्याज एक महत्वपूर्ण सब्जी एवं मसाले की फसल है। यह
प्रोटीन और कुछ विटामिन से भरपूर सब्जी है जिसमें अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।
इनका उपयोग अचार, सलाद, सुप इत्यादि के रूप में भी किया जाता है। भारत में प्याज की खेती लगभग सभी
राज्यों में की जाती है परंतु महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश,
गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर
प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडू एवं बिहार प्रमुख हैं।
यह भारत से सबसे ज्यादा मात्रा में निर्यात होने वाली
फसल है। प्याज ठण्डे मौसम की फसल है लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता है।
प्याज के अंतर्गत क्षेत्रफल का लगभग 60% रबी के मौसम में ही लगाया
जाता है।
प्याज की उन्नत किस्में
पंजाब सलेक्शन, पूसा माधवी, पूसा रतनार,
पंजाब सफेद, अर्का कल्याण, पूसा रेड, पूसा सफेद फ्लेट, बसवंत
780, एग्रीफॉउन्ड लेत रेड, अर्का
निकेतन।
हिसार-2, पूसा रेड, हिसार
प्याज-3, हिसार प्याज-4 को रबी के मौसम
में लगाया जा सकता है।
सामान्यतः रबी प्याज की पौध पहले नर्सरी में लगाई जाती
है फिर उनकी रोपाई की जाती है।
नर्सरी में प्याज की पौध तैयार करने के कुछ पहलू इस
प्रकार हैं :
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4-5 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज को कतारों में 4-5 सें.मी. के फासले
पर लगाते हैं।
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नर्सरी तैयार करने के लिए चयनित भूमि में 2 जुताई
करके समतल
क्यारियां व सिंचाई के लिए नालियां बना दी जाती हैं।
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क्यारियों की चौड़ाई 60 से 100 सें.मी. व लम्बाई को सुविधा के अनुसार रखा जा सकता है।
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एक एकड़ के लिए 50 से 60 क्यारियां (3x1मी.) पर्याप्त रहती हैं।
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बिजाई से पहले बीज को थाइरम (2-3 ग्राम प्रति
किलोग्राम बीज) से उपचारित करें। आर्द्रगलन से पौधों को बचाने के लिए यह उपयुक्त
है।
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नर्सरी के लिए चयनित भूमि का उपचार भी इसी दवा से करें। 4-5 ग्राम
प्रति वर्गमीटर की दर इसके लिए उपयुक्त है।
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बिजाई के पश्चात् बीज को सड़ी तथा छनी बारीक गोबर की खाद या
कम्पोस्ट से ढकें।
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इसके बाद फव्वारों की मदद से प्रतिदिन हल्की सिंचाई बीज अंकुरित
होने तक करते रहें। पौधों के बड़े होने पर समय-समय पर नालियों द्वारा खुला पानी
दिया जा
सकता है।
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पौध बिजाई के 6 से 8 सप्ताह
बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
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रोपाई समय पर करें अर्थात अधिक दिनों के बाद रोपाई करने पर पौधे
जल्दी व्यवस्थित नहीं हो पाते हैं और उनमें फूल वाले
डंठल अधिक निकलते हैं।
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अक्तूबर से मध्य नवम्बर में बिजाई की गई फसल रोपाई के लिए मध्य दिसम्बर
से मध्य जनवरी तक तैयार हो जाती है।
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पौधे की रोपाई करते समय कतारों की दूरी 15 सें.
मी. तथा कतारों में
पौधों की दूरी 10 सें. मी, रखें। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
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